Tuesday, October 16, 2007

मेरी पसंदीदा ग़ज़लें


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मिर्ज़ा गालिब------------

(१)

बाज़ीचा-ए-अत्फाल है दुनिया मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे

इक खेल है औरंग-ए-सुलेमां मेरे नज़दीक
एक बात है ऐजाज़-ए-मसीहा मेरे आगे

जुज़ नाम नहीं सूरत-ए-आलम मुझे मंज़ूर
जुज़ वहम नहीं हस्ती-ए-आशियाँ मेरे आगे

होता है निहाँ गर्द में सहरा मेरे होते
घिसता है जबीं खाक पे दरिया मेरे आगे

मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
तू देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे

सच कहते हो खुदबीन-ओ-खुदारा हूँ न क्यों हूँ
बैठा है बुत-ए-आइना सीमा मेरे आगे

फ़िर देखिए अंदाज़-ए-गुलअफ़सानी-ए-गुफ़्तार
रख़ दे कोई पैमाना-ए-सहबा मेरे आगे

नफ़रत का गुमां गुज़रे है मैं रश्क से गुज़रा
क्यूँ कर कहूं लो नाम ना उसका मेरे आगे

ईमान मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ़्र
काबा मेरे पीछे है खलीसा मेरे आगे

आशिक़ हूँ पे माशूक़-ए-फ़रेबी है मेरा काम
मजनू को बुरा कहती है लैला मेरे आगे

खुश होते हैं पर वस्ल में यूँ मर नहीं जाते
आई शब-ए-हिजरां की तमन्ना मेरे आगे

है मौजज़न इक कुल्ज़ुम-ए-खूं काश! यही हो
आता है अभी देखिए क्या क्या मेरे आगे

गो हाथ को जुम्बिश नहीं आंखों में तो दम है
रहने दो अभी सागर-ओ-मीना मेरे आगे

हमपेशा-ओ-हममशरब-ओ-हमराज़ है मेरा
'गालिब' को बुरा क्यूँ कहो अच्छा मेरे आगे


(2)

ये ना थी हमारी किस्मत जो विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता

तेरे वादे पे जिए हम तो ये जान झूठ जाना
के ख़ुशी से मर ना जाते अगर ऐतबार होता

तेरी नाज़ुकी से जाना कि बाँधा था अहद-ए-बोदा
कभी तू ना तोड़ सकता अगर उस्तवार होता

कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीर-ए-नीम कश को
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता

ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारासाज़ होता कोई गमगुसार होता

रग़-ए-संग से टपकता वो लहू कि फिर ना थमता
जिसे गम समझ रहे हो ये अगर शरार होता

गम अगरचे जाँ गुलिस है, पे कहाँ बचें कि दिल है
गम-ए-इश्क ग़र ना होता गम-ए-रोज़गार होता

कहूं किस से मैं कि क्या है शब-ए-गम बुरी बला है
मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता

हुए मर के हम जो रुसवा, हुए क्यूँ ना गर्क़-ए-दरिया
ना कभी जनाज़ा उठता ना कहीँ मज़ार होता

उसे कौन देख सकता कि यगना है जो याक्ता
जो दुई की बू भी होती तो कहीँ दो चार होता

ये मसाइल-ए-तसव्वुफ़, ये तेरा बयां गालिब
तुझे हम वली समझते जो ना बादाख्वार होता